स्वाधीनता और सद्भाव
( शिवराम के एक सांस्कृतिक अभियान की रपट )
यहां २००४ में शिवराम के नेतृत्व में चलाए गए ‘विकल्प’ और ‘अनाम’ के बैनर तले ‘स्वाधीनता एवं सद्भाव’ नामक एक प्रदेशव्यापी ( राजस्थान ) अभियान की ‘प्रशांत ज्योति’ में छपी रिपोर्ट प्रस्तुत की जा रही है. इससे हमें और इसमें दिलचस्पी रखने वाले व्यक्तियों को शिवराम की कार्यप्रणाली और पद्धतियों की बानगी मिल सकती है. इसी अभियान से संबंधित कुछ छायाचित्र भी प्रस्तुत किये जाने थे, पर इस रिपोर्ट का प्रस्तुतिकरण यहां अभी कुछ लंबा सा हो रहा है अतः अगली बार. इसका विचार एक मित्र ने दिया था, इसी तरह और भी सुझाव दिये गये हैं, मसलन यहां उनसे जुड़ी ब्लॉग पोस्टों के लिंक्स, उनका आधिकारिक जीवनवृत्त और साथ ही जितना संभव होता जाए शिवराम के लेखन की उपलब्धता. इस कार्य को भी शनै-शनै करने की योजना है.
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रवि कुमार
रवि!
मन कई दिनों बाद प्रसन्न हुआ। आश्वस्त हूँ कि जो मशाल शिवराम जी ने जलाई थी, उसे उठाने वाले सैंकड़ों नहीं हजारों या उस से भी अधिक लोग मौजूद हैं। कारवाँ मंजिल तक पहुँचे बिना चैन न लेगा। यह पोस्ट और आगे आने वाली पोस्टें इस बात की साक्षी बनेंगी।
Appreciable article and news.
पुरानी यादें ताज़ा हो गईं.
जुनून के आगे जमाना नत मस्तक है…,
इरादों की ज़मीन पर ही मंज़िलें तराशी जाती है…..,
वहीं उन तक पहुंचने की राहें मुकम्मल होती है…..
विश्विद्यालय वाले दिन याद आ गये जब हम ऐसे कई अभियानों के हिस्सा हुआ करते थे…दिनेश जी आप बिल्कुल सही कह रहे हैं…कामरेड शिवराम और तमाम दूसरे साथियों की जलाई मशालें हम कभी बुझने नहीं देंगे…
बिन तामझाम सीधे जनता के बीच नाटक ले जाने की विधा नुक्कड नाटक से शिव्रराम
पिछले 30-35 सालों से जुडे थे। इन्ही नाटको ने उन्हे वामपन्थी संस्कृति कर्मियो का
अगुआ बना दिया
समय इतना कठिन भी नहीं है कि आप आवाज न उठा सकें। —नपुंसक समय वाली बात याद आई न? अच्छा परिचय हुआ। ऐसा पूरे देश में कब होगा? क्या जनता पागल हो गई है, देखने को मिलेगा?