वे ही देखते हैं मुक्ति के स्वप्न
( शिवराम की कविता-पंक्तियों पर एक कविता-पोस्टर )
माटी मुळकेगी एक दिन – शिवराम
( a kavita poster by ravi kumar, rawatbhata)
शिवराम की ही एक कविता पर बनाया हुआ एक कविता-पोस्टर यहां प्रस्तुत है. वर्तमान परिदृश्य में स्वप्नों को कायम रखते हुए, श्रमजीवीगण की मुक्तिकामी जुंबिशों में उम्मीद बनाए रखती इन कुछ पंक्तियों को आप भी देखिए…
आशा है कुछ बेहतर महसूस हो…
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रवि कुमार