कुछ आधुनिक सा पुरातन
( a pencil sketch by ravi kumar, rawatabhata )
बहुत पुरानी बात है, अक्सर पुरानी ही बातों का जिक्र किया जाता है. पर यह इतनी पुरानी भी नहीं, समय के सापेक्ष इस घटना को आधुनिक सा ही कुछ कह सकते हैं, परंतु वास्तव में यह पुरातन सा ही कुछ है…. हमारी शादी हुई, जैसे कि सबकी ही हुआ करती है…..
शादी के बाद….. कुछ आधुनिक सा, कुछ पुरातन सा ही रहते हुए, शामिले-हयात के शिकवे-शिकायतों को अपने हुनर से लाज़वाब करने के लिए……
उसके जन्मदिन पर पहली और आख़िरी बार, एक उपहार सा कुछ देने का मन बनाया…..और पेंसिल की घिसाई कर बनाया हुआ हम दोनों का एक चित्र नमूदार हुआ….
आज यह हमारी साझी विरासत में शामिल है, एक कमरे में टंगा हुआ है…और याद दिलाता रहता है कि इस चित्र की रचना प्रक्रिया की तरह ही, जिसमें दो अलग-अलग चित्रों को मिला कर एक किया गया था….हमें इस प्रक्रिया में लगातार बने रहना है……
इसी की छायाछवि प्रस्तुत है…..

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रवि कुमार