माटी मुळकेगी एक दिन – शिवराम

सामान्य

माटी मुळकेगी एक दिन – शिवराम
( a kavita poster by ravi kumar, rawatbhata)

शिवराम की ही एक कविता पर बनाया हुआ एक कविता-पोस्टर यहां प्रस्तुत है. वर्तमान परिदृश्य में स्वप्नों को कायम रखते हुए, श्रमजीवीगण की मुक्तिकामी जुंबिशों में उम्मीद बनाए रखती इन कुछ पंक्तियों को आप भी देखिए…

आशा है कुछ बेहतर महसूस हो…

कविता पोस्टर - रवि कुमार, रावतभाटा

०००००

रवि कुमार

16 responses »

  1. ओह !!! कितनी मार्मिकता है यहाँ ! और विकट सत्य के साथ एक सुनहरा स्वप्न भी है , अद्भुत !!!!!!

  2. उम्मीद से भरी एक कविता और एक शानदार पोस्टर… यहाँ आकर उम्मीदों को खुराक मिल जाती है आश्वस्त हो उठता है मन कि कुछ लोग अपने जैसा भी सोचते हैं… कि कुछ लोगों ने अब भी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है… कि एक दिन हम ज़रूर जीतेंगे… पर तब तक लड़ना नहीं छोड़ेंगे.

  3. रवि कुमारजी
    बहुत सुंदर , भावपूर्ण रचना है !
    और उसी के अनुरूप , उतना ही सुंदर चित्रांकन !
    बहुत बधाई !
    कृपया शिवरामजी तक भी मेरी बधाई पहुंचाएं ।

    – राजेन्द्र स्वर्णकार
    शस्वरं

  4. अद्भुत है यह कविता। जिजीविषा से भरी हुई, उम्मीद से सराबोर। बहुत दिन बाद आसान से शब्दों में एक बेहद अच्छी कविता पढ़ी। पोस्टर भी उतना ही उम्दा। शुक्रिया।

    एक प्रश्न है रवि जी, क्या आप मध्यप्रदेश के अशोकनगर में रहने वाले चित्रकार पंकज दीक्षित जी से परिचित हैं?

एक उत्तर दें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s